कैसी है “लूटकेस” फिल्म
दोस्तों लॉकडाउन के इस समय में हर कोई थिएटर को मिस कर रहा है क्यूंकि अच्छी फिल्म्स का मजा बड़े परदे पर ही ज्यादा आता है लेकिन फिर भी अब दर्शक अपने आप को छोटे परदे के अनुसार ढाल रहे हैं और वहीँ कुछ फिल्म्स अपने आप को छोटे परदे पर लेकर आ रही हैं। लेकिन छोटे परदे पर भी काफी लम्बे समय से एक अच्छी कॉमेडी और हल्के फुल्के एक्शन वाली पारिवारिक फिल्म नहीं आयी थी लेकिन इस कमी को लूटकेस ने पूरा कर दिया है। यह फिल्म उन सभी दर्शको के लिए एक बेहतरीन विक्लप है जोकि हल्की कॉमेडी और अच्छी एक्टिंग के दीवाने हैं।
लूटकेस फिल्म में आपको लीड रोले करते दिखाई देंगे कुणाल खेमू और रसिका दुगल, दोनों का ही अभिनय इस फिल्म की जान हैं। दोनों ही अपने किरदार में इतने परफेक्ट तरीके से समां जाते हैं और आपको इस फिल्म के सांथ शुरू से ही बांध कर रख लेते हैं। बात की जाये बाकी कलाकारों की सब ने ही अपना बेहतरीन काम किया है और आप सभी की अदाकारी और उनके हंसी के व्यंग्य को जरूर एन्जॉय करेंगे खासतौर पर विजय राज़, गजराज राओ की बातें आपको जरूर हंसा देंगी।
फिल्म आपको पैसे और पॉलिटिशंस की ताकत को दिखाती है की कैसे पॉलिटिशियन गुंडे और पुलिस दोनों को ही अपने मतलब के लिए इस्तेमाल करते हैं और इसमें कैसे एक आम आदमी पिस्ता रहता है लेकिन जैसे ही आम आदमी के पास पैसा आता है वह अपने आप को पैसे की चाहत में डूबा लेता है और अपने आदर्शो को भूल जाता है सच है की आजकल पैसा किसी के भी आदर्शो को डगमगा सकता है।
ऐसा नहीं है की इस तरह की फिल्म पहले नहीं बनी है, अभी हाल ही में आयी फिल्म चॉक्ड और छपड़ फाड़ के फिल्म दोनों का ही सब्जेक्ट लूटकेस फिल्म के जैसा ही था लेकिन एक्सिक्यूशन में लूटकेस फिल्म कहीं आगे निकल जाती है क्यूंकि फिल्म की खासियत है इसके छोटे छोटे मोमेंट को पकड़ना चाहे वह कुणाल खेमू के बॉस की ताली बजाकर अपने एम्प्लोयी की स्पीच को खत्म करने की कोशिश हो या गजराज की नेशनल जियोग्राफिक चैनल को लेकर दीवानगी हो।
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क्या लूटकेस फिल्म देखनी चाहिए
अगर आप कॉमेडी लवर हैं तो आपको यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए क्यूंकि इसे आप परिवार के सांथ बैठकर भी एन्जॉय कर पाएंगे। फिल्म को आप डिज्नी+हॉटस्टार पर देख सकते हैं। फिल्म की कुल लेंथ है 2 घंटे से ऊपर है इसलिए आप थोड़ा समय इसके लिए निकल कर रखें तब ही इसे एन्जॉय कर पाएंगे।
“लूटकेस” फिल्म की रेटिंग
इस फिल्म को IMDB पे 9.3 रेट मिला है 10 में से और वहीँ हम इस फिल्म को 5 में से 3 स्टार देंगे। गूगल पे इसे 97% दर्शको ने लाइक किया है।
फिल्म में क्या अच्छा है
फिल्म को कॉमेडी जॉनर में रखा गया है इसलिए फिल्म में आपको ज्यादा कॉमेडी और हल्का फुल्का एक्शन भी देखने को मिलता है जोकि आपको बाधें रखता है।
फिल्म की खासियत इसमें काम करने वाले अदाकारों की शानदार एक्टिंग है सभी ने इसमें जबरदस्त काम किया है हालांकि फिल्म का ज्यादा फोकस कुणाल और रसिका पे रखा गया है लेकिन फिर सभी सपोर्टिंग कलाकारों का काम आपको उनके छोटे से रोल में भी जानदार लगेगा की आप उसे देखकर उसकी जरूर तारीफ करेंगे।
विजय राज़, गजराज राओ, रणवीर शोरे, आर्यन प्रजापति का काम आपको सबसे ज्यादा पसंद आएंगे क्यूंकि इनके हर लाइन आपको जरूर हंसी आएगी।
फिल्म का डायरेक्शन और स्क्रीनप्ले को साधारण तरीके से बनाया है इसलिए ज्यादा गाली गलोच और एडल्ट दृश्य आपको देखने को नहीं मिलते इसलिए भी यह फिल्म ज्यादा अच्छी लगती है जिसे आप अपने परिवार के सांथ बैठकर आनंद ले सकते हैं।।
फिल्म के ट्रेलर का रिव्यू पढ़ने के लिए क्लिक करें।
फिल्म में क्या गलत है
फिल्म के अंदर लीड रोल के करैक्टर बिल्डिंग पे ज्यादा ध्यान दिया गया है जबकि बाकि के कुछ कलाकार जोकि सपोर्टिंग रोल्स में है उनपर उतना ज्यादा फोकस नहीं किया गया।
फिल्म 2 घंटे से ज्यादा की है जिसके कारण पहला 1 घंटा बीतने के बाद आपको थोड़ा बीच में बोरियत भी लगेगी इसलिए अगर फिल्म को 20-30 मिनट छोटा कर दिया जाता या बाकि कलाकारों पे थोड़ा और फोकस कर दिया जाता तो दर्शक और ज्यादा एन्जॉय करते।
फिल्म का डायरेक्शन, स्क्रीनप्ले और म्यूजिक
फिल्म का डायरेक्शन का ज्यादा सिंपल रखा गया है और ज्यादातर फिल्म की शूटिंग को मुंबई के अंदर ही किया गया है लेकिन ओवरआल डायरेक्शन औसतन है।
फिल्म का स्क्रीनप्ले आपको औसतन ही लगेगा क्यूंकि कहानी में ज्यादा ट्विस्ट और टर्न देने की कोशिश नहीं की गयी है और मुख्य किरदारों के ऊपर भी सही तरीके से ध्यान दिया गया है जबकि बाकि अदाकारों पे थोड़ा सा कम।
फिल्म का म्यूजिक उतना खास नहीं है शायद इसलिए क्यूंकि फिल्म की खासियत इसका कॉमेडी जॉनर है।
“लूटकेस” फिल्म की कहानी का प्लाट
“लूटकेस” फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है नंदन कुमार (कुणाल खेमू), उसकी पत्नी लता (रसिका दुगल) और अपने बेटे छोटू (आर्यन प्रजापति) से जोकि एक छोटे से चाल में अपनी जरूरतों को समटते हुए रह रहे हैं। लता को इस बात का दुःख है की नंदन बहुत कम पैसे कमाता है और अधिक पैसे कमाने के लिए अपने काम के सांथ सांथ कोई छोटा बिज़नेस नहीं करता जिससे उनकी कमाई बढ़ जाये। वहीँ छोटू भी अपने पापा को हमेशा अपनी जरूरते पूरी करने के लिए याद दिलाता रहता है लेकिन नंदन अपनी इन परिशानियों के सांथ सांथ अपने ऑफिस के वर्क प्रेशर से भी बहुत परेशान रहता है क्यूंकि नंदन बहुत मेहनती है इसलिए उसका मालिक उसकी अच्छाई का फायदा उठाकर उसे और अधिक काम देता है।
कहानी में पड़ाव आता है जब नंदन को एक दिन ऑफिस से आते हुए एक सूटकेस मिल जाता है जोकि वहां के मंत्री पाटिल (गजराज राओ) का है जिसमे कई करोड़ रुपयों के सांथ एक फाइल है जिसमे पाटिल के काले कारनामो के सबूत हैं। पाटिल को डर है की वह फाइल कहीं पुलिस के हाथ न लग जाये और इसके लिए वह अब्दुल (सुमित निझावन) और इंस्पेक्टर कोलते (रणवीर शोरे) को सूटकेस लाने के लिए बोलता है और वहीँ बाला राठौर (विजय राज़) जोकि अब्दुल का दुश्मन है वह यह सूटकेस लूटना चाहता है ताकि पाटिल अब्दुल को खुद ही मार दे। सूटकेस मिलने के बाद कुणाल अपनी पत्नी से छुपा कर वह पैसे खर्च करता है जिसमे उसकी पत्नी को थोड़ा शक होना चालू हो जाता है की नन्दन के पास इतने पैसे कहाँ से आये। लता एक आदर्शवादी महिला है और वह गलत काम के पैसो को अच्छा नहीं मानती है।
इंस्पेक्टर कोलते ऑटो वाले की मदद से कुणाल तक पहुँच जाता है और उसी समय लता को भी सारे पैसे मिल जाते हैं लेकिन कोलते कुणाल को अब अपने सांथ लेकर अपने एक ख़ुफ़िया अड्डे पर चले जाता है जहाँ अब्दुल और बाला राठौर भी आ जाते हैं और इन सब में फाइट होने लग जाती है। इस फाइट में में सभी मारे जाते हैं लेकिन कुणाल बच जाता है और उसे अपने लालच का एहसास होता है लेकिन बाद में उसे फिर से पैसे मिलते हैं तो वह फिर से लालच में आ जाता है। अंत में दिखाया जाता है की कोई पाटिल को मार देता है और इसके सांथ फिल्म खत्म हो जाती है। फिल्म हमें एहसास कराती है की हमें लालच से बचकर ही रहना चाहिए क्यूंकि उसका फल बहुत खतरनाक भी हो सकता है।
“लूटकेस” फिल्म की स्टार कास्ट
कुणाल खेमू: नंदन कुमार, गजराज राओ: मिनिस्टर पाटिल, विजय राज़: बाला राठौर, रणवीर शोरे: इंस्पेक्टर कोलते, रसिका दुगल: लता, आर्यन प्रजापति: छोटू, शशि रंजन: अब्दुल, सुमित निझावन: ओमर, आकाश दाभाड़े: ग्रेजुएट, मनुज शर्मा: फैजु, नीलेश दिवेकर: राजन
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