“हंड्रेड” वेब सीरीज कैसी है।
इस सीरीज में मिडिल क्लास की रहने वाली एक लड़की नेत्रा पाटिल और आमिर तबके की सौम्या शुक्ला पर आधारित है जिसमे की नेत्रा के सपने तो बहुत बड़े हैं मगर उसके पैसे और जिंदगी दोनों की ही कमी है। लेकिन जब उसे अपने बीमारी का पता लगता है तो वह अपने सपनो को पूरा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है और सौम्या से मिलती है। सौम्या इस बात का फायदा उठाती है अपने जीवन के मकसद को पूरा करने के लिए नेत्रा का इस्तेमाल करने लग जाती है। सीरीज की कहानी इस थ्योरी पर आधारित है।
सीरीज में आपको गलतियों का खजाना मिलने वाला है क्यूंकि डायरेक्टर और राइटर ने इस सीरीज को बिना ही किसी लॉजिक के बना दिया है। हर एपिसोड्स में आपको इतनी ज्यादा गलतियां मिलेंगी की आप बाद में यह सोच कर शो को देखोगे की आप कोई कॉमेडी शो देख रहे हो। यह चीज़ सिर्फ डायरेक्शन और कहानी के सांथ सांथ आपको एक्शन में भी देखने को मिलती है पर आप एक बार के लिए सोच सकते हो की एक्शन थोड़ा कम है इसलिए रहने देते हैं वरना एक्शन में तो यह सीरीज और भी ज्यादा निराश कर देती है।
सीरीज में आपको फेमिनिज्म का डोज़ भी देखने को मिलता है जोकि सीरीज में सौम्या के ऊपर दर्शाया गया है की कैसे उसे करियर में आगे नहीं बढ़ने नहीं दिया जा रहा है। हलाकि धीरे धीरे यह फेमिनिज्म का साइड इफ़ेक्ट भी सीरीज में दिखाया गया है जिसका परिणाम नेत्रा को भी भुक्तना पड़ता है। इसलिए कहा जा सकता है डायरेक्टर ने इस चीज़ का ध्यान रखा है की जनता किस लेवल तक ही फेमिनिज्म को देखना पसंद करेगी।
इस सीरीज में 8 एपिसोड्स हैं और हर एपिसोड्स 40-45 का है और इसे आप डिज्नी+हॉटस्टार पर देख सकते हैं। एपिसोड्स के टाइम को ज्यादा बड़ा न बनाकर डायरेक्टर ने अच्छा काम किया है वरना हो सकता था की दर्शक इस सीरीज को पूरा देखने की बजाय आधे में ही खत्म कर देते। इस सीरीज को डायरेक्ट किया है रूचि नारायण, आशुतोष शाह और ताहेर शब्बीर ने वैसे कहा जा सकता है तीन लोगो ने इस सीरीज में अपने हाथ आजमाए शायद इसलिए यह ख़राब होती चली गयी।
वैसे इस सीरीज को आप एक बार जरूर देखना पसंद करेंगे क्युकि इसमें हल्के फुल्के एक्शन और कॉमेडी का तड़का दिया गया है जोकि इसे एक बार देखने लायक सीरीज जरूर बना देती है।
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“हंड्रेड” सीरीज की रेटिंग
इस सीरीज को IMDB पे 6.8 रेट मिला है 10 में से और वहीँ हम इस सीरीज को 5 में से 2.5 स्टार देंगे। गूगल पे इसे 81% दर्शको ने लाइक किया है।
“हंड्रेड” सीरीज में क्या अच्छा है?
अगर इस सीरीज को आप सिर्फ कॉमेडी के तौर पे देख रहे जिसमे कोई भी लॉजिक नहीं इस्तेमाल किया जा रहा तो आपको यह सीरीज थोड़ा अच्छी जरूर लगेगी। सीरीज में कहीं भी अश्लीलता और गालियों का प्रयोग नहीं किया है जोकि इसे थोड़ा लीग से हटकर जरूर बना देती है।
सीरीज के ज्यादातर एपिसोड्स को एन्ड की एक क्लिप के सांथ दिखाकर उसे फिर पास्ट से जोड़ा गया है जोकि कुछ हद तक अच्छा लगता है।
सीरीज की जान सिर्फ इसकी एक्टिंग है जिसके लिए लारा दत्ता और रिंकू राजगुरु की तारीफ जरूर बनती है। सीरीज की ख़राब राइटिंग को भी अपने एक्टिंग स्किल्स से थोड़ा देखने लायक बना देना ही इस बात का सबूत है।
“हंड्रेड” सीरीज में क्या बुरा है
इस सीरीज में तो बुराइयों की झड़ी ही लगा दी है पूरी टीम ने। बात की जाये तो लॉजिक्स की तो वह एपिसोड 1 से लास्ट एपिसोड तक आपको मिसिंग लगेगा जैसे हर चीज़ ही बस अपने आप हुए चले जा रही है जिसके पीछे राइटर ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया है।
बचकाने से एक्शन दृश्य तो इस सीरीज को कॉमेडी में बदल कर रख देती है। पूरी सीरीज में कई डायलॉग आपको जबरदस्ती करके सीरीज में डाले हुए लगेंगे।
“हंड्रेड” का डायरेक्शन, कहानी और म्यूजिक
सीरीज का डायरेक्शन बहुत ही बचकाना है इसलिए अगर इस सीरीज को बर्बाद करने में अगर किसी का नाम पहले आएगा तो वह इस सीरीज के डायरेक्टर्स ही होंगे। फिल्म की कहानी बिना लॉजिक के बनाई गयी है ऐसा आपको बार बार एहसास होगा शायद सीरीज को थोड़ा कॉमेडी का रूप देने के चाकर में ऐसा हुआ है आप ऐसा मान सकते हैं। म्यूजिक इस सीरीज में थोड़ा अच्छा है कुछ नया और एंगेजिंग सा लगता है ।
“हंड्रेड” सीरीज के किरदार
लारा दत्ता: सौम्या शुक्ला, रिंकू राजगुरु: नेत्रा पाटिल, कारन वाही: मेड़ी, सुधांशु पांडेय: प्रवीण ताम्बे, परमीत सेठी: अंशुमान गोस्वामी, राजीव सिद्धार्थ: शांतनु झा
“हंड्रेड” सीरीज की कहानी हिंदी में
सीरीज की शुरुआत होती है सौम्या शुक्ला (लारा दत्ता) से जोकि अपनी लाइफ में आगे बढ़ने का सपना रखती है मगर उसके सीनियर और उसका पति ही उसके इस सपने में बाधा बने हुए हैं। कहानी आगे बढ़ती है सीरीज की दूसरी मुख्य किरदार नेत्रा पाटिल (रिंकू राजगुरु) जोकि सरकारी नौकरी करते हुए काफी बोरियत महसूस करती है क्यूंकि इसे लाइफ को अच्छे से जीना है मगर घर की जिम्मेदारी और पैसे की कमी ऐसा नहीं करने देती। एक दिन ऑफिस में नेत्रा को चकर आ जाता है और जिस्की जांच करने पे पता लगता है की नेत्रा को ब्रेन टयूमर है और वह सिर्फ 100 दिन की मेहमान है। अब नेत्रा अपने बच्चे हुए दिन को पूरी तरह से जीने के लिए अपनी इछाओ की लिस्ट बनाती है।
इस लिस्ट को पूरा करने के दौरान उसकी मुलाकात होती है ए.सी.पी सौम्या से जोकि उसकी मदद करने को तैयार हो जाती है अपने सपने को पूरा करने के लिए। सौम्या के ऊपर उसके सीनियर्स की नज़र हमेशा बनी रहती है की वह कोई ऐसा काम न कर दे जिससे की पुलिस को बाद में जवाब देना मुश्किल हो जाये तो वहीँ सौम्या नेत्रा की मदद से एक किडनी रैकेट को पकड़ने का प्लान बनाती है जिसमे वह नाकाम हो जाती है। लेकिन इसके बाद वह एक ड्रग्स एक रैकेट को पकड़वाने में कामयाब हो जाती है लेकिन इससे सौम्या के ऊपर इन्क्वारी चालू कर दी जाती है। सौम्या को इससे बचने के लिए अब पॉलिटिशियन का सहारा लेना पड़ता है लेकिन दूसरी तरफ नेत्रा को प्यार हो जाता है शांतनु झा जोकि पैसो को वाइट करने का धंधा करता है।
जब सौम्या को इस बात का पता लगता है तो वह नेत्रा की मदद से इस गिरोह को पकड़ने का प्लान बनाती है लेकिन ऐसा करने से शांतनु नेत्रा से नाराज़ हो जाता है क्यूंकि अब शांतनु माफिया और पुलिस दोनों की ही नज़र में आ गया है और वहीँ नेत्रा का भरोसा भी सौम्या से उठ जाता है क्यूंकि वह अपना वादा नहीं निभाती जिसके अनुसार शांतनु को कुछ नहीं होगा। आखिर में नेत्रा को यह सचाई भी पता लग जाती है की उसे कुछ भी नहीं हुआ है और इसका पता सौम्या को भी था लेकिन उसने अपने मतलब के लिए नेत्रा को कुछ नहीं बताया।
डायरेक्टर ने कुछ सवालो के सांथ सीरीज को खत्म कर दिया है और जिसे देख कर लग रहा है की इसका सीजन 2 भी आएगा जिसमे बड़े बड़े माफिया और नेत्रा की सौम्या से तकरार देखने को मिलेगी। कहानी आपको कुछ कुछ गोविंदा की मूवी गैम्बलर से मिलती जुलती भी लगेगी।
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