कैसी है क्रिमिनल जस्टिस सीजन 2
हम अपने दर्शकों के सामने कोशिश करेंगे की एक सिनेमा समीक्षक के तौर हमने जो महसूस किया उसे बिलकुल फेयर तरीके से बताएं। जबकि कई बड़े क्रिटिक इस सीरीज को बहुत ही महान स्टोरी बताने में लगे हुए हैं। सीरीज शुरू में ही आपको अपनी कहानी समझा देती है की कहानी शादी के बाद होने वाले शारीरिक सम्बन्धो के ऊपर है जहाँ कुछ महिलाएं इससे समझौता कर लेती है लेकिन अनु यह अत्याचार नहीं सहती है और वह अपने पति बिक्रम चंद्रा का खून कर देती हैं(ओह सॉरी ऐसा सीरीज में दिखाया गया है – वरना जो खून कर सकती है वह कोर्ट भी तो जा सकती है तलाक लेने के लिए)।
सीरीज में अनु को एक अच्छी पत्नी और माँ के रूप में दिखाया गया है जोकि डिप्रेशन की मरीज़ लेकिन यह बात सीरीज में आगे जाकर पता चलती है और वह भी ख़ुफ़िया तरीके से दिखाने की कोशिश की गयी है – पता नहीं क्यों। यहाँ हम एक बात बताना चाहेंगे की पूरी सीरीज को सिर्फ एक ही नज़रिये से दिखाया गया है और वह है अनु का नज़रिया। बिक्रम चंद्रा और उसकी बेटी के नज़रिये को सिर्फ बातों से समझाने की कोशिश की गयी है जिससे आप सीके का दूसरा पहलू उतना अच्छे से नहीं जान पातें है।
कहानी को सच कहें तो इतना लम्बा खींचा गया है इसके कारण आप इस सीरीज को फ़ास्ट फॉरवर्ड करके ही देखोगे और सच कहें तो इससे आपका काफी समय बच जायेगा। कहानी थोड़ा इंटरस्टिंग तभी लगती है जब माधव मिश्रा और निखत हुसैन का दृशय आता है वरना अनुराधा चंद्रा को डायरेक्टर ने इतने कम डायलॉग दिए हैं की आप उनका दृश्य काट काट कर भी देख सकते हो। अनु अपने अधिकतर दृश्यों में आपको सिर्फ रोते हुए या बिलकुल चुप ही दिखती है जोकि काफी निराश कर देता है। सच कहें तो स्क्रीनप्ले बहुत ही कमजोर लगता है इसलिए आपको ऐसे मोमेंट कम ही मिलेंगे जहाँ आप बहुत देर तक अपने आप को सीरीज से जोड़ पाएं।
इस सीरीज को अगर पिछले सीरीज के मुकाबले रखा जाये तो यह सीरीज बहुत ही ज्यादा वीक दिखती है अगर आप जेल के दृश्यों की बात करें या जेल के कैदियों की अदाकारी की बात करें या कोर्ट में वकीलों के बीच होने वाले सवाल जवाबों की तकरार की बात करें और या फिर उन दोनों पहलुओं की बात करें जिसके एक पहलु के कारण आप किसी को मुजरिम साबित करते हो और दुसरे पहलु के कारण आप किसी को बेगुनाह – यहाँ सिर्फ एक ही पहलु को दिखाया गया है।
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क्या क्रिमिनल जस्टिस सीजन 2 हमें देखनी चाहिए?
यह सीजन उतना जबरदस्त तो नहीं जितना की पहला था लेकिन आपको औरतों पर होने वालों अत्याचारों और परेशानियों को जरूर महसूस करना चाहिए जिसके लिए यह सीरीज एक अच्छा उदहारण बन सकती है। इस सीरीज के कुछ ही हिस्सों की गली को छोड़कर बाकि सभी दृश्य आप अपने परिवार के सांथ बैठकर आप देख सकते हैं।
क्रिमिनल जस्टिस सीजन 2 वेब सीरीज रेटिंग कितनी है?
क्रिमिनल जस्टिस सीजन 2 वेब सीरीज को IMDB पे 10 में से 7.8 की रेटिंग मिली है लेकिन हम इस सीरीज को 5 में से 2.5 स्टार देंगे।
सीरीज के डायरेक्टर से कुछ सवाल
ऐसा क्यों है एक मर्डर इतने सबूत होने के बावजूद हमदर्दी के एंगल से दिखाकर सजा को इतना कम कर दिया गया जबकि अनु ने जानबूझकर चौड़ा चाकू निकाला और खून करने के बाद वह कोट पहनकर बाहर निकलती है।
पूरी सीरीज में अनु की बेटी उससे नाराज़ होती है लेकिन अंत में अचानक वह माँ से गले लग जाती है लेकिन फिर भी वह अपनी माँ को बेकसूर नहीं बताती है लेकिन फिर इसे अनु के पक्ष में ले लिया जाता है क्यों?
सीरीज को सिर्फ एक ही नज़रिये से दिखाना कुछ सवाल खड़े करता है।
कहानी में अनु के खून करने के मकसद को इतना छोटा करके बताने की कोशिश की गयी है जोकि थोड़ा अटपटा लगता है क्यूंकि अपने पती को मारने की बजाय वह तलाक भी ले सकती थी। अगर वह डिप्रेशन में थी तो वह कैसे सिर्फ एक ही बार की मुलाकात में डॉक्टर से सेक्स कर लेती है।
क्रिमिनल जस्टिस सीजन 2 वेब सीरीज में क्या अच्छा है?
सीरीज में सभी किरदारों का बेहतरीन काम देखने को मिलता है, जहाँ स्क्रीनप्ले काफी धीमा होने के बावजूद कलाकारों ने अपने अभिनय के ठहराव से दर्शकों को बांधे रखने में बहुत हद तक कामयाब रहे हैं।
सीरीज में सभी किरदारों को पूरा समय दिया गया है जिससे वह दर्शकों से अपना रिश्ता बना सकें।
क्रिमिनल जस्टिस सीजन 2 वेब सीरीज में क्या बुरा है?
सीरीज हमारे हिसाब से काफी ज्यादा स्लो है और मुख्य किरदार अनु को इतने कम डायलॉग दिए गए हैं जिसके कारण वह दर्शकों से उतना अच्छा कनेक्शन नहीं बना पाती हैं।
सीरीज में दो पाती और पत्नी पुलिस अफसर एक ही थाने में हैं और दोनों ही एक केस को देख रहे हैं, यह बिना लॉजिक के किया गया है। आपको यह देखने में काफी अटपटा लगेगा की पुरुष पुलिस अफसर इस केस को ज्यादा पर्सनल ले लेता है कई महत्वपूर्ण बातें छोड़ देता है जोकि देखने बहुत ही अजीब लगता है।
क्रिमिनल जस्टिस सीजन 2 वेब सीरीज के किरदार
पंकज त्रिपाठी: माधव मिश्रा, कीर्ति कुल्हारी: अनुराधा चंद्र, अनुप्रिया गोयनका: निखत हुसैन, दीप्ति नवल: विजि चंद्र, मीता वशिष्ट: मंदिरा माथुर, कल्याणी मुलाय: गौरी प्रधान, खुशबू अत्रे: रतना, अयाज़ खान: मोक्ष सिंघवी, अजीत सिंह: हर्ष प्रधान, पंकज सारस्वत: रघु सालियन, अद्रिजा सिन्हा: रिया चंद्र, जिस्शु सेनगुप्ता: बिक्रम चंद्र, शिल्पा शुक्ला: इशानी नाथ, आशीष विद्यार्थी: दीपेन प्रभु
क्रिमिनल जस्टिस सीजन 2 की कहानी
कहानी शुरू होती है रात के एक दृश्य से जहाँ अनु अपने पती बिक्रम चंद्रा का खून कर देती है और इसके कारण वह जेल चली जाती है। अनु अपने पती के खून को स्वीकार कर लेती है लेकिन पुलिस उन्हें वकील देती है जोकि है माधव मिश्रा। माधव अपनी पूरी कोशिश करता है यह जानने की अनु ने खून किया है या नहीं और अगर किया है तो क्यों किया है क्यूंकि अनु ज्यादा कुछ बोलती नहीं है।
माधव अनु को डिप्रेस्शन की मरीज़ बताकर और अनु को शादी के बाद होने वाले रेप की पीड़िता बताकर कोर्ट से अनु की बेल और सजा माफ़ी की कोशिश करता है। अब क्या अनु को सजा होगी या नहीं यही इस सीरीज की कहानी है।
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