कैसी है अवरोध सीरीज?
भारतीय सेना की शौर्य गाथा को बयान करने वाली कई फिल्मे अभी तक बॉलीवुड में बन चुकी हैं जिसमे से कुछ ही फिल्मे उस तनाव, जोश और बहादुरी को अच्छे से परदे में उतर पाएं हैं जोकि किसी जंग के समय हमारे जवानो को सामना करना पड़ता है। कुछ ही समय पहले उरी में हुए भारतीय सेना पर करयाना हमले के ऊपर भी बॉलीवुड में एक फिल्म बनी थी “उरी दा सर्जिकल स्ट्राइक” जोकि एक ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी क्यूंकि इसमें भारतीय सेना के जज्बे, जोश को अच्छे से परदे पर उतारा गया था। मगर फिर भी यह एक फिल्म थी जोकि सिर्फ 2 से 2.30 की होती थी जिसमे आप बहुत सारी डिटेल्स हमें देखने को नहीं मिली थी। इस बात को ध्यान में रखते हुए अब राज आचार्य ने इसी सब्जेक्ट के ऊपर एक वेब सीरीज बनायीं है जिसमे की आप भारतीय सेना के कौशल को और अच्छे से जान पाएंगे।
फिल्म की शूटिंग कश्मीर में की गयी है जिसके फलसवरूप आपको सीरीज देखने पर वैसे ही तनाव महसूस होगा जैसा की सेना को होता है। इस सीरीज में मुख्य भूमिका में आप अमित साध और दर्शन कुमार को देखेंगे और दोनों ही आर्मी के जवान के रोल निभा रहे हैं। इस फिल्म की कहानी उरी पर हुए हमले पर लिखी गयी एक किताब “इंडिया मोस्ट फीयरलेस” के आधार पर बनायीं गयी है परन्तु बहुत सारे किरदारों के नाम और किरदारों के जोड़ा और बदल दिया गया है। फिल्म पॉलिटिसिस और मीडिया के कुछ महत्वपूर्ण पहलु पर हमारा ध्यान केंद्रित करती है की कैसे मीडिया सिर्फ अपने ही फायदे के बारे में सोच कर देश की सुरक्षा के सांथ खिलवाड़ करने में कोई भी संकोच नहीं करती है और वही हमारे नेता देश पर हुए हमले का बदला लेने से पहले किस तरह से दुनिया के दबाव में अपने फैसलों को बदलने को मजबूर हो जाते है।
फिल्म का मुद्दा और डायरेक्शन ही इस फिल्म की कमी और ताकत है इसलिए हम इसके इन सभी पहलुओं पर नज़र डालेंगे। जिस तरह से फिल्म में सभी महत्वपूर्ण डिटेल्स को मिस कर दिया गया था उन सभी पहलुओं को इस सीरीज में आप अच्छे से जान पाएंगे क्यूंकि डायरेक्टर ने पूरी तरह कोशिश की है की कश्मीर के सही माहौल को परदे पर उतार सके जैसे – पथरबाजो द्वारा पत्थर मारना, आतंकी की मौत पर लोगो का इकट्ठा होना, हर कश्मीरी बुरा नहीं है बल्कि कुछ देश हित के बारे में भी सोचते हैं इसलिए वह सैनिको और सरकार की भी मदद करते हुए नज़र आते हैं।
बात की जाये अभिनय की तो इसमें अमित साध एक जवान के रूप में दिखने वाले हैं और एक इंटरव्यू के दौरान अमित साध ने बताया की उनके पिता का सपना था की मैं एक आर्मी जवान बनूँ मगर ऐसा नहीं हो पाया मगर आज मैंने उस सपने को जिन्दा अवश्य किया है क्यूंकि मेरे लिए यह रोल पाना भी बड़े गर्व की बात है।
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क्या अवरोध सीरीज देखनी चाहिए?
सीरीज में जोश और कुछ तकनिकी खामियां जरूर हैं लेकिन फिर भी उरी हमले को और बारीकी से जानने का मौका आपको मिलेगा इसलिए आपको यह सीरीज जरूर देखनी चाहिए। इस सीरीज को आप सोनी लिव एप्प पर देख सकते हैं। इस सीरीज में 9 एपिसोड्स हैं और हर एपिसोड्स 40-45 मिनट का है।
अवरोध सीरीज की रेटिंग
इस सीरीज को IMDB पे 8.3 रेट मिला है 10 में से और वहीँ हम इस सीरीज को 5 में से 2.5 स्टार देंगे।
सीरीज में क्या अच्छा है?
सीरीज में सभी पहलुओं को कवर करने की कोशिश की गयी है जिससे दर्शक ज्यादा जान पाएं उरी हमले और इंडिया द्वारा की गयी काउंटर अटैक के बारे में।
सीरीज कश्मीर के हालातों पर भी अपनी पकड़ बनाने की अच्छी कोशिश करती है जैसे पथराव का दृश्य दिखाना, कश्मीरियों की जिंदगी को महसूस कराना।
सीरीज में अगर अदाकारी की बात की जाये तो दर्शन कुमार का काम आपको कहीं ज्यादा अच्छा लगेगा इसके सांथ ही आतंकवादी का रोल निभाने वाले अनिल जॉर्ज की अदाकारी भी आपको काफी ज्यादा पसंद आएगी।
सीरीज को सही पेस से फिल्माया गया है जिससे दर्शक ज्यादा बोर न हो जाएं और उनका इंटरस्ट बना रहे।
सीरीज में क्या गलत है?
सीरीज के एक्शन दृश्य बिलकुल नकली जैसे लगते हैं जैसे अर्टिफिशलय तरीके से बनाये गए हो वैसे कई क्रिटिक्स का यह मानना भी है की फिल्म में फायरिंग दृश्यों को CGI की मदद से बाद में बनाया गया है।
सीरीज में मीडिया को जरूरत से ज्यादा ही तेज़ दिखाया गया है जैसे की उन्हें हर खबर का पहले से ही पता है और जब इंडिया के जवान उरी का बदला लेने के लिए जाते हैं तो वहां भी मीडिया का खबरी मौजूद होता न्यूज़ को कवर करने के लिए। यह दृश्य जरूरत से ज्यादा ही फेक लगता है की कैसे मीडिया देश की सुरक्षा के सांथ भी खिलवाड़ कर देती है वह भी इतने बड़े पैमाने पर।
सीरीज में नीरज काबी को देश की सुरक्षा का सलाहकार के रूप में दिखाया गया है मगर उनका रोल एक एजेंट का कम बल्कि एक अयाश किस्म के इंसान का ज्यादा लगता है।
सीरीज उरी पर बनी फिल्म की तरह अपनी पकड़ को बनाने में असफल रही है और ऐसा इसलिए है क्यूंकि सीरीज में इमोशंस की कमी और लड़ाई के दृश्यों में उतना जोश देखने को नहीं मिलता है जिसके कारन दर्शक सीरीज से अपने आप को जोड़ नहीं पाते हैं।
सीरीज के ट्रेलर का रिव्यू पढ़ने के लिए क्लिक करें।
सीरीज का डायरेक्शन, स्क्रीनप्ले और म्यूजिक
सीरीज का डायरेक्शन ठीक ठाक है, डायरेक्टर ने पूरी कोशिश की है वह कश्मीर की सुंदरता, वहां के हालातो, वहां के लोगो की परेशानी के सांथ सांथ देश की आर्मी को होने वाली परेशानियों को भी अच्छे से उतार सकें। लेकिन बहुत सी जगह पर अदाकारी, नकली से फाइट दृश्य जैसे कई पहलु इस सीरीज के ख़राब डायरेक्शन को भी उजागर कर देती हैं।
सीरीज का स्क्रीनप्ले और म्यूजिक भी बिलकुल औसत दर्जे का है जिसे देखकर और सुनकर आपको बिलकुल भी सीरीज से जुड़ाव नहीं होगा जैसा की उरी फिल्म में था।
“अवरोध” सीरीज की कहानी
सीरीज की कहानी की शुरुआत होती है एक शादी से जहाँ कुछ आतंकवादी भी छुपे होते हैं जिसकी खबर मेजर गौतम (दर्शन कुमार) को लग जाती है और वह वहां हमला करके सभी आतंकवादियों को मार गिराता है। जिसके कारण आतंकी कमांडर अबू हाफिज गुस्सा हो जाता है और वह अब कश्मीर में एक बहुत बड़े हमले की तैयारी करने लगता है। इसके लिए कुछ आतंकवादी जवानो के भेष में उरी कैंप में घुस जाते हैं और वहां जवानो पर हमला कर देते हैं जिसमे कई जवान भी मारे जाते हैं लेकिन जवाबी करवाई में सारे आतंकवादी भी मारे जाते हैं।
अब यह मामला काफी गरमा चूका था और भारत के कई इंटेलीजेंट अफसर इसका बदला लेने की बात करते हैं और इसके लिए एक टीम तैयार की जाती है और इसके लीडर होते हैं विदीप (अमित साध)। अब भारतीय जवानो को आतंकवादियों के कई कैंपो का पता चलता है जोकि अगले हमले की तैयारी कर रहे हैं इसलिए विदीप इन कैंपो पर ही हमले का प्लान बनाते हैं। अबू हाफिज भी उन्ही कैंप में मौजूद होता है, अब इंडियन जवान इन कैम्प्स पर हमला कर देते हैं और तीनो कैंपो को बर्बाद कर देते हैं और अबू हाफिज को मार देते हैं।
लेकिन जब विदीप की टीम इंडिया लौटने की कोशिश करती है तो हम देखते हैं की पाक के जवान भी विदीप की टीम पर हमला कर देती है लेकिन विदीप की टीम उन सभी को मार कर वापस इंडिया लौट आती है। अंत में दिखाया जाता है न्यूज़ एंकर नम्रता (मधुरिमा तुली) इस हमले के ऊपर अपनी किताब लांच करती है जिसमे विदीप और इंटेलीजेंट अफसर भी आते हैं और नम्रता को बधाई देते हैं और इसी के सांथ सीरीज यहाँ खत्म हो जाती है।
“अवरोध” सीरीज के किरदार
अमित साध: विदीप, दर्शन कुमार: मेजर गौतम, मधुरिमा तुली: नम्रता, नीरज काबी: शैलेश मालवीय, अनंत नारायण महादेवन: सतीश महादेवन, विक्रम गोखले, प्राइम मिनिस्टर, आरिफ ज़करिआ: अली राजा, मीर सर्वर: जौर्नालिस्ट फखरुद्दीन, अनिल जॉर्ज: अबू हाफिज
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